मंगलवार, 27 सितंबर 2011

स्तन दो ,बच्चे तीन

 आदरणीय अन्ना अंकल,
देश  के नेताओं को भी कहना कि ज़रा  सोच कर बोला करें.
   परसों ही एक नेता ने बोल दिया कि अपने देश  की आबादी बहुत तेज रफ्तार से बढ रही है और इसे यूं समझो कि हर साल एक आस्ट्रेलिया भारत में आ जुडता है.
   अंकल जी, आबादी की रफ्तार वाली बात पर तो किसी ने ध्यान नहीं दिया ,लेकिन आस्ट्रेलिया आने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई. राम औतार तब से शहर की गलियां छान रहा है कि आस्ट्रेलिया आया है तो गोरी मेमें भी आई होंगी.सारा दिन गालियां देने वाली काली-कलूटी राम दुलारी को तलाक देकर अंगरेज़ी में लव यू,लव यू करने वाली किसी मेम से ही ब्याह करा लूं.
अंकल जी,तब से मैं भी सोच रहा हूं कि आस्ट्रेलिया आया है तो कम भीड वाली बसें,साफ -सुथरे स्कूल,सड़क पर न थूकने वाले सभ्य और शिक्षित  बच्चे भी आये होंगे.साथ में गरीबी दूर करने को डालर. अब तो मेरा बचपन ही संवर जाएगा.                                                                                                                                                 अंकल जी, आस्ट्रेलिया यहां आए दो दिन हो गए लेकिन,देश की तस्वीर तो पहले से भी बदतर दिख रही है.चारों तरफ भीड ही भीड,यहां तक कि शहर के पेशाब घरों तक पर भी लाईन. और वह भी तब जब कुछ बहादुर लोग वहां भी उकडू हो जाते हैं,जहां लिखा होता है,”गधे के पूत,यहां मत ...“
   यही तो गलत बात की,नेता ने. अरे कह देते कि हर साल तो दूर आस्ट्रेलिया एक बार भी भारत नहीं आया और न ही कभी आयेगा.नेता जी को कहना चाहिए था,“ सावधान, दक्षिणी अफ्रीका या ब्राज़ील आ रहा है.और वह इसलिए आ रहा है कि वहां ज़्यादा आबादी के कारण खाने को नहीं मिल रहा.“
   वैसे, अंकल जी, अपने देश  की आबादी बढने की रफ्तार एक दिन आपके मुंह से भी कहला ही देगी कि देश  की बदहाली की ज़िम्मेवार वही नालायक औरत है जो पहले एक सैंकिंड में एक बच्चा दिया करती, अब दो देने लगी है.और थोड़े ही दिनों में तीन  भी देने लगेगी 
परमात्मा ने हर माता को स्तन भी दो ही दिए हैं.दो बच्चों को तो वह दूध पिला देगी लेकिन जब तीसरा आयेगा और उसे दूध नहीं मिलेगा तो वह इसके लिए कोई भ्रष्ट  तरीका ही खोजेगा.
अंकल जी,बच्चा बडा होकर भ्रष्टाचार  सीखता है तभी देश  का यह हाल है.क्या होगा अगर वह पैदा होते ही सीख लेगा. 
मां के दूध से शुरू हुआ भ्रष्टाचार कहां तक जाएगा,इतना तो आप भी जानते हैं. तभी तो कहता हूं कि अपने देश  के नेताओं को भी कहना कि जरा  सोच कर बोला करें.
                                                                आपका अपना बच्चा
                                                                मन का सच्चा
                                                                अकल का कच्चा
                                                                 - प्रदीप नील

2 टिप्‍पणियां:

  1. आवारा भाई ,
    जान कर अच्छा लगा की आपको अच्छा लगा .
    आपने समय निकाल कर मेरा ब्लॉग पढ़ा आभारी हूँ .
    कृपया आते रहिएगा
    धन्यवाद्

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