आदरणीय अन्ना अंकल,
हमारी कक्षा में एक लडकी पूछने लगी,“सर,सोने का विशेषण क्या होता है?“
सर जी ने दो जवान बेटियों की शादी करनी है, 10-10 तोले सोना तो देना ही होगा.इधर सोने का भाव छंलागें मार रहा है. उसी चिंता में खोए हुए होंगे. बोले,“बिटिया,सोने का विशेषण क्या पूछती हो, आजकल तो इसका भाव पूछो,भाव.“
सर जी जिस अखबार में सोने का भाव देखते हैं,वही अखबार लडकी भी पढती है. उसी अखबार में ब्यूटी-पार्लर के नाम पर देह-व्यापार के विज्ञापन भी छपते हैं,जहां हर चीज़ के रेट भी लिखे रहते हैं. लडकी को बहुत शर्म आई लेकिन इतना ज़रूर बोला,“छिः सर, मुझे नहीं पता था आप टीचर होकर भी इतना गंदा सोचते हैं.“
सर चश्मा पोंछते हुए बोले,“इसमें टीचर क्या करेगा,बेटा?ठीक है अपने बेटे के समय दहेज़ नहीं लूंगा.लेकिन बेटियों को तो सोना...“
लडकी तुरंत समझ गई. बोली,“सारी सर, अब सोने का विशेषण बता ही दीजिए.“
सर मुस्कुरा कर बोले,“ सुनहरा“
लडकी बोली,“यह तो मैं भी जानती हूं,सर .मैं उस सोने का नहीं बल्कि कुंभकर्ण वाले सोने का विशेषण पूछ रही थी.“
सर फिर उलझ गए.इस सोने का विशेषण उन्हे नहीं पता.उन्होने ईमानदारी से स्वीकार भी कर लिया कि नहीं जानते. हां,किसी से पूछ कर बतायेंगे.
लडकी भी जानती है कि टीचर होने का मतलब यह नहीं होता कि उसे सब कुछ आता हो. वह मुस्कुरा कर बोली,“ठीक है,सर जी“
आजकल लोकपाल बिल पर भी यही हो रहा है, अंकल जी. आप सो रहे कुंभकर्ण वाले सोने से चिंतित हैं,जबकि सरकार रोजाना चढ्ते जा रहे मंहगे सोने से. सरकार को जब आप वाले सोने का विशेषण पता चलेगा, आप को बता देगी.लेकिन तब और मंहगे हो चुके सोने का भाव जानकर आप दंग मत रह जाना.
सोना नींद उडाता ही है.वह चाहे दहेज़ वाला हो या कुंभकर्ण वाला
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
- प्रदीप नील