मंगलवार, 27 सितंबर 2011

जन लोकपाल बिल और राम ओतार का लोटा

आदरणीय अन्ना अंकल,
लोग बेशक  कहते हों कि आप मराठा हैं,लेकिन मुझे तो आप असली हरियाणवी ही लगते हैं.बता ही देता हूं,क्यों?
हमारे पडौसी राम औतार के यहां चोरी हो गई.तफ्तीश  पर आये थानेदार ने पूछा“क्या क्या चोरी हुआ?“
राम औतार ने कहा”लोटा “
थानेदार का अगला प्रशन आना ही था,“लोटा,और..?“
राम औतार ने उसे बेवकूफ समझ्कर गुस्से से घूरा और बोला,“पहले लोटा तो ढूंढ ला.“
अंकल जी, आप भी राम औतार के लोटे की तरह जनलोकपाल बिल पर ही अटक कर खडे हो गए.
 थानेदार घर आया हुआ था. राम औतार लोटे के चक्कर में ऐसा उलझा कि यह बताना तो भूल ही गया कि उसके यहां से दस तोले सोने की चेन और दो लाख की नकदी भी चोरी हुई है.
अंकल जी, आपके पास तो इतने थानेदार आये  थे,राम लीला मैदान में ! आप चाहते तो कह सकते थे कि लोटा तो खोज ही लाओ लेकिन हमारी संस्क्रिती,सभ्यता जैसी दस तोले की चेन खोजना मत भूल जाना. महाजन के सूद की तरह बढ रही आबादी और इसके कारण फैली 300 तरह की बीमारियां(यहां तक कि भ्रष्टाचार  भी उन्ही में से एक है) के इलाज़ की दस तोले की चेन, अन्ना, अंकल !
अंकल जी,कन्या-भ्रूण  हत्या,दहेज-प्रथा,प्रदूषण , आनर-किलिंग,मिलावटी व नकली चीजों के उत्पादन इत्यादि रोकने की जो दो लाख की नकदी गुम है, आप वो भी गिना सकते थे.लेकिन आप लोटे के इलावा किसी बात को याद ही नहीं कर पाए.
वैसे अंकल जी, राम औतार के यहां से थानेदार चलने लगा तो उसकी पत्नी राम दुलारी ने चेन तथा चोरी की बात भी कानों में से निकाल दी थी. आपके पास भी किरण और अरविंद जैसे समझदार भाई बहन तो थे ही,वे ही गिना देते कि जो समाज की,देश  की जो चेन और नकदी गुम हुई है,वह भी खोज ही लेना.
अंकल जी,एक बार ,सिर्फ एक बार कह देते कि नेताओं पर निगाह तो मैं रख लूंगा,तुम भी घर जाकर खुद पर और अपने परिवार पर निगाह रख लेना.
मैं तो यही दुआ कर रहा हूं कि राम औतार के यहां फिर से चोरी हो जाए और इस बार राम दुलारी नहीं बल्कि,राम औतार खुद चेन तथा नकदी की बात करे. 
                                                                                       आपका अपना बच्चा
                                                                                       मन का सच्चा
                                                                                        अकल का कच्चा
                                                                                      - प्रदीप नील

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