आदरणीय अन्ना अंकल,
आपके इस बच्चे की जान खतरे में है क्योंकि मेरी वज़ह से पहली बार मैदान में उतरा एक नया नेता चुनाव हार गया और अब वह मुझे मारना चाहता है. गलती सचमुच ही मेरी थी,जो आपके प्रभाव में आकर उसके लिए नीचे दिया गया चुनाव घोषणा-पत्र बना बैठा.
(1) मैं किसी प्रकार के "साला-सालीवाद" में विश्वास नहीं करता.
(2) बिजली,पानी तथा टैक्स-चोर मुझे यह सोचकर तो बिल्कुल वोट न दें कि मेरे जीतने के बाद उनके पौ-बारह हो जायेंगे.
(3) नकली या मिलावटी घी,दूध तथा शराब बनाने वाले मुझे वोट देकर शर्मिंदा न हों.चुनाव जीता तो उन्हे भी अंदर जाना ही होगा.
(4) सबसे बडी बात पर मतदाता गौर करें कि मुझे वोट देने से से पहले अपनी आत्मा में झांक कर देखें कि मुझे वोट क्यों देना चाहते हैं?
अंकल जी, आप समझ ही गए होंगे कि बाकी और बातें जो मैंने लिखी,क्या रही होंगी?
लगभग वही बातें जो मजबूत लोकतंत्र के लिए ज़रूरी होती हैं. इसके बाद मैं यह सोचकर मज़े से सो गया कि देश में आजकल अन्ना- आंधी चल ही रही है,मेरा पट्ठा जीतेगा और मुझे लाख दो लाख रूपए का इनाम तो पक्का ही देगा.
लेकिन अंकल जी, उसके पक्ष में सिर्फ दो वोट आए और उन दो में से एक भी पता नहीं कौन डाल गया.?नेता जी को चुनाव हारने का दुख नहीं है,दुख सिर्फ इस बात का है कि उनकी घरवाली ने भी उन्हे वोट नहीं दिया. अब नेता जी चार लोगों से यही कहते घूम रहे हैं "मैंने साला-सालीवाद का नाम न लिया होता तो मैं चुनाव ज़रूर जीत जाता. घोषणा-पत्र का नंबर एक पढकर मेरी घरवाली तक ने वोट नहीं दिया और बाकी लोगों ने यह सोचकर वोट नहीं दिए कि जो अपनी घरवाली तक का वोट नहीं ले सकता उसे हम वोट क्यों दें?“,
अंकल जी,यहां तक भी वह बेचारा मुझे माफ करने को तैयार है लेकिन मुश्किल यह है कि उसका बसा बसाया परिवार उजडने वाला है क्योंकि उसकी घरवाली चार दिन से यही पूछ रही है,”राम औतार एक वोट तो मान लिया तूने डाला होगा,लेकिन बताता क्यों नहीं कि दूसरा वोट कौन चुडैल डाल गई.?“
अंकल जी, अब आप सिर्फ इतना बता दें कि अगली बार किसी का घोषणा-पत्र बनाने बैठूं तो कौन सी गलतियां न करूं.?
वैसे कितना अच्छा रहे, अगर आप ही एक नमूना बनाकर भेज दें. आपका यह बच्चा और पिटने से बच जाएगा.
आपके इस बच्चे की जान खतरे में है क्योंकि मेरी वज़ह से पहली बार मैदान में उतरा एक नया नेता चुनाव हार गया और अब वह मुझे मारना चाहता है. गलती सचमुच ही मेरी थी,जो आपके प्रभाव में आकर उसके लिए नीचे दिया गया चुनाव घोषणा-पत्र बना बैठा.
(1) मैं किसी प्रकार के "साला-सालीवाद" में विश्वास नहीं करता.
(2) बिजली,पानी तथा टैक्स-चोर मुझे यह सोचकर तो बिल्कुल वोट न दें कि मेरे जीतने के बाद उनके पौ-बारह हो जायेंगे.
(3) नकली या मिलावटी घी,दूध तथा शराब बनाने वाले मुझे वोट देकर शर्मिंदा न हों.चुनाव जीता तो उन्हे भी अंदर जाना ही होगा.
(4) सबसे बडी बात पर मतदाता गौर करें कि मुझे वोट देने से से पहले अपनी आत्मा में झांक कर देखें कि मुझे वोट क्यों देना चाहते हैं?
अंकल जी, आप समझ ही गए होंगे कि बाकी और बातें जो मैंने लिखी,क्या रही होंगी?
लगभग वही बातें जो मजबूत लोकतंत्र के लिए ज़रूरी होती हैं. इसके बाद मैं यह सोचकर मज़े से सो गया कि देश में आजकल अन्ना- आंधी चल ही रही है,मेरा पट्ठा जीतेगा और मुझे लाख दो लाख रूपए का इनाम तो पक्का ही देगा.
लेकिन अंकल जी, उसके पक्ष में सिर्फ दो वोट आए और उन दो में से एक भी पता नहीं कौन डाल गया.?नेता जी को चुनाव हारने का दुख नहीं है,दुख सिर्फ इस बात का है कि उनकी घरवाली ने भी उन्हे वोट नहीं दिया. अब नेता जी चार लोगों से यही कहते घूम रहे हैं "मैंने साला-सालीवाद का नाम न लिया होता तो मैं चुनाव ज़रूर जीत जाता. घोषणा-पत्र का नंबर एक पढकर मेरी घरवाली तक ने वोट नहीं दिया और बाकी लोगों ने यह सोचकर वोट नहीं दिए कि जो अपनी घरवाली तक का वोट नहीं ले सकता उसे हम वोट क्यों दें?“,
अंकल जी,यहां तक भी वह बेचारा मुझे माफ करने को तैयार है लेकिन मुश्किल यह है कि उसका बसा बसाया परिवार उजडने वाला है क्योंकि उसकी घरवाली चार दिन से यही पूछ रही है,”राम औतार एक वोट तो मान लिया तूने डाला होगा,लेकिन बताता क्यों नहीं कि दूसरा वोट कौन चुडैल डाल गई.?“
अंकल जी, अब आप सिर्फ इतना बता दें कि अगली बार किसी का घोषणा-पत्र बनाने बैठूं तो कौन सी गलतियां न करूं.?
वैसे कितना अच्छा रहे, अगर आप ही एक नमूना बनाकर भेज दें. आपका यह बच्चा और पिटने से बच जाएगा.
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
-प्रदीप नील
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