आदरणीय अन्ना अंकल ,
कल हमारे संगीत वाले सर हमें देशभक्ति का गाना सिखा रहे थे,लेकिन बहुत ही गुस्से में थे. बोलने लगे,“ बच्चो,कहां का देश,और कैसा देश ! तुम्हारे सामने भला-चंगा खडा हूं.मुझे तो कल रिटायर होना पडेगा. और इधर नेता हैं कि 70 साल के हो जाएं,घुटने काम ना कर रहे हों,तो भी उन्हे रिटायर करने वाला कोई नहीं है.“
यह अन्याय की बात सुनकर हम तो हैरान रह गए, अंकल जी.
तभी चपडासी पानी लेकर आया,प्रिंसीपल को गालियां देता हुआ. सर की बात सुन कर बोला,“देश तो अब पाताल को जाएगा ही. यहां अंधे तो बच्चों को संगीत सिखाते हैं“
यह सुनते ही संगीत वाले सर चिढ गए. चिल्लाए,“ बकवास क्यों करता है,राम औतार के बच्चे ? मैंने संगीत गले से सिखाना होता है, आंखों से नहीं “
राम औतार उसी तर्ज़ पर बोला,“ तो तू भी जान ले,राम लुभाए कि नेता ने देश दिमाग से चलाना होता है, घुटनों से नहीं “
यह बहस ज्यादा देर नहीं चली, क्योंकि दोनो एकदम से “नवीन भारतीय संस्कृति“ पर उतर आए.यानी संगीत वाले सर जी तबले पर थाप की तरह राम औतार के सिर पर सितार मारने लगे. राम औतार इस भरोसे के साथ कि प्रिंसीपल उसने बनना नहीं,चपडासी से नीचे कुछ बना सकते, हुक्म बजाने की तरह सर के सिर पर जूत्ता बजाने लगा.
हम सभी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे तो पूरा स्कूल भागकर आया और उन्हे छुडवाया.
अंकल जी,हम तो हैरान रह गए कि इस तरह तो हम बच्चे भी नहीं लडते. जब हम बच्चे लडते हैं तो सारे सर एक ही बात कहते हैं “तुम्हारा क्या मकान बंट रहा था,जो बंदूक निकाल ली ?“ आज हमें समझ नहीं आया कि यहां कौन सा मकान बंट रहा था?
अंकल जी,हमें सबसे घटिया बात तो यह लगी कि ये बड़े लोग एक दूसरे की शारीरिक अक्षमता का मज़ाक उडा रहे थे.कोई अपाहिज या बीमार है तो इसमें उस बेचारे का क्या कसूर?
घर जाकर दादा जी से मैं पूछने लगा कि नेता को किस उम्र में रिटायर होना चाहिए ?
दादा जी गुस्से से बोले ' मैं कोई नेता तो हूँ नहीं . किसी नेता से ही पूछ ले जो सत्तर साल से ऊपर का हो ".
अब आप ही बताइए अंकल कि यह बात किससे पूछूं ?
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील
कल हमारे संगीत वाले सर हमें देशभक्ति का गाना सिखा रहे थे,लेकिन बहुत ही गुस्से में थे. बोलने लगे,“ बच्चो,कहां का देश,और कैसा देश ! तुम्हारे सामने भला-चंगा खडा हूं.मुझे तो कल रिटायर होना पडेगा. और इधर नेता हैं कि 70 साल के हो जाएं,घुटने काम ना कर रहे हों,तो भी उन्हे रिटायर करने वाला कोई नहीं है.“
यह अन्याय की बात सुनकर हम तो हैरान रह गए, अंकल जी.
तभी चपडासी पानी लेकर आया,प्रिंसीपल को गालियां देता हुआ. सर की बात सुन कर बोला,“देश तो अब पाताल को जाएगा ही. यहां अंधे तो बच्चों को संगीत सिखाते हैं“
यह सुनते ही संगीत वाले सर चिढ गए. चिल्लाए,“ बकवास क्यों करता है,राम औतार के बच्चे ? मैंने संगीत गले से सिखाना होता है, आंखों से नहीं “
राम औतार उसी तर्ज़ पर बोला,“ तो तू भी जान ले,राम लुभाए कि नेता ने देश दिमाग से चलाना होता है, घुटनों से नहीं “
यह बहस ज्यादा देर नहीं चली, क्योंकि दोनो एकदम से “नवीन भारतीय संस्कृति“ पर उतर आए.यानी संगीत वाले सर जी तबले पर थाप की तरह राम औतार के सिर पर सितार मारने लगे. राम औतार इस भरोसे के साथ कि प्रिंसीपल उसने बनना नहीं,चपडासी से नीचे कुछ बना सकते, हुक्म बजाने की तरह सर के सिर पर जूत्ता बजाने लगा.
हम सभी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे तो पूरा स्कूल भागकर आया और उन्हे छुडवाया.
अंकल जी,हम तो हैरान रह गए कि इस तरह तो हम बच्चे भी नहीं लडते. जब हम बच्चे लडते हैं तो सारे सर एक ही बात कहते हैं “तुम्हारा क्या मकान बंट रहा था,जो बंदूक निकाल ली ?“ आज हमें समझ नहीं आया कि यहां कौन सा मकान बंट रहा था?
अंकल जी,हमें सबसे घटिया बात तो यह लगी कि ये बड़े लोग एक दूसरे की शारीरिक अक्षमता का मज़ाक उडा रहे थे.कोई अपाहिज या बीमार है तो इसमें उस बेचारे का क्या कसूर?
घर जाकर दादा जी से मैं पूछने लगा कि नेता को किस उम्र में रिटायर होना चाहिए ?
दादा जी गुस्से से बोले ' मैं कोई नेता तो हूँ नहीं . किसी नेता से ही पूछ ले जो सत्तर साल से ऊपर का हो ".
अब आप ही बताइए अंकल कि यह बात किससे पूछूं ?
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील
बहुत बढ़िया और रोचक !!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को यहाँ पढ़े
manojbijnori12 .blogspot .com
समय निकाल कर मेरी पोस्ट देखने के लिए तो आभारी हूँ ही उससे ज्यादा हूँ आपके उत्साह बढाने वाले शब्दों से
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सहित
प्रदीप नील